प्लैण्टेगो मेजर (Plantago Major)

 प्लैण्टेगो मेजर (Plantago Major)

परिचय-

प्लैण्टेगों मेजर औषधि दांत दर्द तथा कान से सम्बन्धित रोगों को ठीक करने के लिए उपयोग किया जाता है। तम्बाकू खाने के कारण उत्पन्न रोग की अवस्था और चेहरे के नाड़ियों में दर्द होने पर इस औषधि से लाभ मिलता है। विभिन्न लक्षणों में प्लैण्टेगों मेजर औषधि का उपयोग-

सिर से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी को सुबह के समय में सिर में दर्द होता है और सुबह सात बजे से दोपहर दो बजे तक रोग के लक्षणों में वृद्धि होती है तथा इसके साथ ही आंखों से आंसू बहता है, आंखें चौंधियाने लगती है, दर्द का असर कनपटियों और निचले जबड़े तक फैल जाता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के लक्षणों को ठीक करने के लिए प्लैण्टेगों मेजर औषधि का प्रयोग करना चाहिए। 

कान से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी के सुनने की शक्ति तेज हो जाती है और शोर युक्त माहौल में रोग के लक्षणों में वृद्धि होती है, कानों में चुभन जैसा दर्द होता है, कान की नाड़ियों में दर्द होना, दर्द का असर सिर से होता हुआ एक कान से दूसरे कान तक फैल जाता है तथा इसके साथ ही दांत में भी दर्द होता है। उच्च शब्द की आवाजें एक कान से होती हुई दूसरे कान तक जाती हैं। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के लक्षणों को ठीक करने के लिए प्लैण्टेगों मेजर औषधि का प्रयोग करना चाहिए। रोगी के कानों में चुभने जैसा दर्द होता है और दर्द का असर सिर से होता हुआ एक कान से दूसरे कान तक फैल जाता है, शोर युक्त जगह पर जाने से रोगी को और भी परेशानी होती है, कानों में कट-कट की आवाजें सुनाई देती है तथा दर्द होता है ऐसी स्थिति में इस औषधि का मूलार्क की दो से चार बूंद कान में डालने से आराम मिलता है।

नाक से सम्बन्धित लक्षण :- अचानक ही नाक से पीला पानी जैसा स्राव होने लगता है। इस प्रकार के लक्षणों को ठीक करने के लिए प्लैण्टेगों मेजर औषधि का प्रयोग करना चाहिए। 

मल से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी को मलत्याग करने की इच्छा बहुत अधिक होती है, रोगी बार-बार पेशाब करने जाता है पर पेशाब होता नहीं है। बवासीर के रोग से पीड़ित रोगी की दशा अधिक गम्भीर हो गई हो और रोगी ठीक प्रकार से खड़ा भी नहीं हो पा रहा हो। रोगी को दस्त आने के साथ ही बादामी रंग का पानी के समान मल आता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के लक्षणों को ठीक करने के लिए प्लैण्टेगों मेजर औषधि का प्रयोग करना फायदेमन्द होता है। 

मूत्र से सम्बन्धित लक्षण :- अधिक मात्रा में पेशाब आता है तथा रोगी बिस्तर पर सोते हुए पेशाब कर देता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए प्लैण्टेगों मेजर औषधि का उपयोग करना उचित होता है। 

चर्म रोग से सम्बन्धित लक्षण :- त्वचा पर छोटी-छोटी फुंसियां हो जाती है तथा इसके साथ ही खुजली होती है तथा जलन भी होती है। छपाकी रोग हो जाता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के लक्षणों को ठीक करने के लिए प्लैण्टेगों मेजर औषधि का प्रयोग करना चाहिए। 

वृद्धि (ऐगग्रेवेशन) :-

ठण्डी हवा में, छूने से, गर्म चीजों से, ठण्डे पेय पदार्थो से, सुबह के सात बजे से दोपहर दो बजे तक, रात के समय में रोग के लक्षणों में वृद्धि होती है।

शमन (एमेलिओरेशन) :-

भोजन करते समय तथा चबाते समय रोग के लक्षण नष्ट होते हैं।

सम्बन्ध (रिलेशन) :-

बेल, चायना, फेरम-फा, जेल्स, हिपर, कमो, पल्सा तथा काल्मिया औषधियों के कुछ गुणों की तुलना प्लैण्टेगों मेजर औषधि से कर सकते हैं।

मात्रा (रिलेशन) :-

प्लैण्टेगों मेजर औषधि की मूलार्क और निम्न शक्तियों का प्रयोग रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए करना चाहिए। 


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