मास्कस (Moschus)
परिचय-
मास्कस औषधि को हिन्दी में मृगानाभि कहते हैं। यह उन लड़कियों के लिए विशेष उपयोगी है जो अधिक जिद्दी, स्वार्थी और मनमानी करने वाली होती है या फिर हिस्टीरिया रोग से पीड़ित होती है। हिस्टीरिया रोग से ग्रस्त लड़कियों के लक्षणों को समझना बहुत कठिन है। हिस्टीरिया रोग से पीड़ित लड़कियों में ऐसे लक्षण होते हैं जिन्हें देखने से आश्चर्य होता है, कभी-कभी तो वह सबको डरा देती हैं, वह इस तरह की हरकतें करती है कि बड़ी ही भयानक मालूम होती हैं। वह अपने अन्दर ऐसे-ऐसे लक्षण बताती है कि चिकित्सक उनमें कौन-सा साधारण और कौन सा असाधारण लक्षण हैं, विचार करने पर हैरान हो जाता है। वे ऐसे लक्षणों को बताती है कि उस पर विश्वास नहीं हो पाता है, ऐसा लगता है कि दुनियां की सारी परेशानियां उसके अन्दर हैं। इस प्रकार के हिस्टीरियाग्रस्त लड़की को यदि कोई छोटा सा भी रोग हो जाता है तो भी वह इस रोग को बड़ा कठिन रोग बताती है। यह सच है कि उसे परेशानी है पर इतना नहीं जितना वह बताती है। यह याद रखना चाहिए कि हिस्टीरिया रोग से पीड़ित लड़की को ठीक करना बहुत कठिन होता है, यदि रोगी लड़की को यह पता चल जाए कि डॉक्टर उसके रोग को ठीक करने में ठीक से ध्यान नहीं दे रहा है तो वह दुबारा उपचार के लिए उस डॉक्टर को नहीं बुलाएगी। हिस्टीरिया रोग से पीड़ित लड़की की छाती के बीच में एक गोला-सा रखा हुआ महसूस होता है तथा गोला ऊपरी की ओर चढ़ता हुआ महसूस होता है, सर्दी तथा गर्मी जरा सी होते ही महसूस होती है, पुट्ठे कांपते हैं, नींद नहीं आती है, दिल में धड़कन होती है और मूर्छा आ जाती है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित लड़की के रोग को ठीक करने के लिए मास्कस औषधि का उपयोग करना चाहिए।
पागलपन की अवस्था होने के साथ ही बेहोशी के दौरे पड़ रहें हो, ठण्ड के मौसम में लक्षणों में वृद्धि होती है, हवा बर्दाश्त नहीं हो रही हो, हाथ-पैर में कंपकपी हो रही हो तथा बार-बार बेहोशी की समस्या हो जाती हो, पेट फूल रहा हो, मानसिक तनाव अधिक हो जाता है तथा पेशियों में ठण्ड लगती है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए मास्कस औषधि का प्रयोग करना चाहिए।
मास्कस औषधि निम्नलिखित लक्षणों के रोगियों के रोग को ठीक करने में उपयोगी है-
मन से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी को पागलपन की स्थिति हो जाती है तथा दिमाग ठीक से काम नहीं करता है, बिना बात पर हंसी आती है, रोगी गाली-गलौज करना पंसद करता है, धड़कन की गति अनियमित हो जाती है, कभी-कभी वह अचानक चौंक पड़ता है तथा डर जाता है और सैक्स सम्बन्धित रोग (Sexual Hypochondrisis) का भ्रम हो जाता है। इस प्रकार के लक्षणों में से यदि कोई भी लक्षण किसी रोगी में है तो उसके रोग को ठीक करने के लिए मास्कस औषधि का प्रयोग करना फायदेमंद होता है।
सिर से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी के नाक की जड़ के ऊपर दबाव महसूस होने के साथ ही दर्द होता है, सिर के ऊपरी भाग में दबाव महसूस होता है, जरा-सा भी चलने-फिरने से सिर में चक्कर आने लगता है और ऐसा महसूस होता है कि बहुत ऊंचाई से गिर रहा हूं, कान में तोप छूटने जैसी आवाज होती है। ऐसे लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए मास्कस औषधि का उपयोग लाभदायक है।
आमाशय से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी को कॉफी तथा उत्तेजक पदार्थों के सेवन करने की इच्छा होती है, भूख नहीं लगती है, किसी भी चीजों के स्वाद की पहचान नहीं हो पाती है, छाती में दर्द भी होता है, आमाशय फूल जाता है, खाते समय बेहोशी होती है, पेट अत्यधिक फूल जाता है, हिचकी आती है। इन लक्षणों के होने के साथ ही रोगी का दिमाग ठीक से कार्य नहीं करता है, ऐसे लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए मास्कस औषधि का उपयोग लाभकारी है।
पुरुष रोग से सम्बन्धित लक्षण :- संभोग करने की इच्छा अधिक होती है तथा उत्तेजना भी अधिक होती है, अपने आप वीर्य स्खलन हो जाता है। नपुंसकता रोग होने के साथ ही रोगी को यदि मधुमेह रोग भी हो गया हो या फिर अधिक मात्रा में पेशाब आता हो। जवानी में ही वृद्धों जैसा नज़र आना। संभोग करने के बाद जी मिचलाना तथा उल्टियां आना। इस प्रकार के पुरुष रोग से सम्बन्धित लक्षणों में से यदि कोई भी लक्षण किसी व्यक्ति को हो गया है तो उसके रोग को ठीक करने के लिए मास्कस औषधि का प्रयोग करना चाहिए।
स्त्री रोग से से सम्बन्धित लक्षण :- स्त्रियों को मासिकधर्म के समय में स्राव नियमित समय से बहुत पहले तथा अधिक मात्रा में हो और साथ ही बेहोशी होने की समस्या हो तो रोग को ठीक करने के लिए मास्कस औषधि का उपयोग करना चाहिए। संभोग करने की इच्छा होने के साथ ही जननेन्द्रियों में सुरसुरी हो रही हो, जननेन्द्रियों की ओर खिंचाव और दबाव लगता है जैसे मासिकस्राव होने वाला है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए मास्कस औषधि का उपयोग करना चाहिए।
मूत्र से सम्बन्धित लक्षण :- मधुमेह रोग से पीड़ित रोगी जब पेशाब करता है तो अधिक मात्रा में पेशाब होता है तथा उसे बेहोशी की समस्या भी हो तो उसके रोग को ठीक करने के लिए मास्कस औषधि का उपयोग करना फायदेमंद है।
सांस से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी के छाती में दबाव महसूस हो रहा हो तथा सांस लेने में परेशानी होती है। स्वरयन्त्र और श्वास-प्रणाली में अपने आप सिकुड़न हो रही हो तथा सांस लेने में अधिक परेशानी हो रही हो और साथ ही छाती में दबाव महसूस हो रहा हो और दमा रोग के तरह का लक्षण हो। फेफड़ों में लकवा जैसा प्रभाव देखने को मिलता है। दमा रोग होने के साथ ही अधिक डर तथा घुटन हो रही हो। इस प्रकार के लक्षणों में से यदि कोई भी लक्षण किसी व्यक्ति को हो गया है तो उसके रोग को ठीक करने के लिए मास्कस औषधि का प्रयोग करना चाहिए है।
हृदय से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी को पागलपन की स्थिति हो जाती है तथा उसके हृदय की धड़कन अनियमित रूप से धड़कने लगती है, हृदयपिण्ड के चारों ओर कंपन होता है नाड़िया कमजोर हो जाती है तथा बेहोशी की समस्या उत्पन्न हो जाती है। ऐसे लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए मास्कस औषधि का उपयोग लाभदायक है।
त्वचा से सम्बन्धित लक्षण :- यदि रोगी को ठण्ड लग रही हो तथा एक हाथ गर्म और पीला हो गया हो तथा दूसरा हाथ ठण्डा और सुर्ख हो तो ऐसे रोगी के रोग को ठीक करने के लिए मास्कस औषधि का सेवन करना चाहिए।
वृद्धि (ऐगग्रेवेशन) :- खुली हवा में ठण्ड अधिक लगती है तथा ठण्ड लगने से रोग के लक्षणों में वृद्धि होती है।
शमन (एमेलिओरेशन) :- खुली हवा में रहने से तथा शरीर पर घर्षण करने से रोग के लक्षण नष्ट होने लगते हैं।
सम्बन्ध (रिलेशन) :- नक्स-मास्केटा, वैलेरि, सुम्बुल, इग्ने, असाफी तथा कैस्टोरि औषधियों के कुछ गुणों की तुलना मास्कस औषधि से कर सकते हैं।
प्रतिविष :-
कैम्फर, काफिया औषधि का प्रयोग मास्कस औषधि के हानिकारक प्रभाव को नष्ट करने के लिए किया जाता है।
मात्रा (डोज) :-
मास्कस औषधि की 1 से 3 शक्ति तक का प्रयोग रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए करना चाहिए।
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