आइरीडियम IRIDIUM

 आइरीडियम IRIDIUM

परिचय-

आइरीडियम औषधि का प्रयोग अनेक प्रकार के रोगों से संबन्धित लक्षणों को दूर करने में किया जाता है जिसके फलस्वरूप यह औषधि उस रोग से संबन्धित लक्षणों को उत्पन्न कर रोग को ठीक करता है। यह औषधि आन्त्र-पूतिता (इन्टेस्टीनल प्युट्रेफेक्शन) तथा खून में मौजूद विषैले पदार्थ को समाप्त कर खून को साफ करती है और खून की खराबी से उत्पन्न होने वाले रोगों को दूर करती है। आइरीडियम औषधि शरीर में खून की कमी (एनीमिया) को दूर कर शरीर में लाल कण को बढ़ाती है। यह मिर्गी, ल्यूपस, आमवात तथा गठिया रोग को समाप्त करने में भी अत्यन्त लाभकारी होती है। इसके अतिरिक्त किसी व्यक्ति में रोग के कारण उत्पन्न होने वाली शारीरिक थकान, रीढ़ की हडडी का पक्षाघात (पैरेसीस) आदि में भी लाभकारी है। बच्चों में होने वाले रोग जैसे बच्चों का शारीरिक व मानसिक विकास ठीक से नहीं हो पाता है तथा जिन बच्चों के अंगों का विकास रुक गया हो और वह अंग कमजोर व सूख गया हो तो ऐसे लक्षण वाले रोगों में बच्चों को आइरीडियम औषधि का सेवन कराने से रोग में लाभ मिलता है। इस औषधि का प्रयोग गर्भाशय की झिल्ली में उत्पन्न होने वाले फोड़े-फुंसियों को नष्ट करने के लिए किया जाता है। यह औषधि गर्भकाल के समय गुर्दे में उत्पन्न सूजन को दूर करने में विशेष रूप से लाभकारी है। शरीर के विभिन्न अंगों में उत्पन्न लक्षणों के आधार पर आइरीडियम औषधि का उपयोग :-

सिर से संबन्धित लक्षण :- सिर रोग से ग्रस्त रोगी के अन्दर अनेक प्रकार के लक्षण उत्पन्न होते हैं। रोगी हमेशा अपने ही विभिन्न विचारों में उलझा रहता जिसके कारण रोगी अपने मन को स्थिर नहीं कर पाता है। रोगी को हमेशा ऐसा महसूस होता रहता है जैसे दिमाग खाली हो गया है। व्यक्ति को हमेशा भ्रम लगा रहता है। रोगी को ऐसा महसूस होता है मानो सिर का दायां भाग किसी ठोस पदार्थ का बना गया है। रोगी के दाएं भाग की खोपड़ी अधिक संवेदनशील होने के कारण हल्का सा छू जाने पर तेज दर्द होने लगता है। इस तरह के लक्षणों में रोगी को ठीक करने के लिए आइरीडियम औषधि का प्रयोग करना चाहिए।

सर्दी-जुकाम में उत्पन्न लक्षण :- यदि नाक से अधिक मात्रा में पानी की तरह पतला नजला निकल रहा हो या रोगी पुराने जुकाम से पीड़ित हो तो ऐसे लक्षणों में आइरीडियम औषधि का प्रयोग लाभकारी होता है। जुकाम होने पर इस औषधि के प्रयोग से तथा घर में रहने से आराम मिलता है।

सांस संस्थान से संबन्धित लक्षण :- सांस संस्थान से संबन्धित लक्षण जैसे- आवाज खराब होने के साथ खांसी आना, अधिक बोलने से खांसी आना, नाक के पिछले द्वार में कच्चापन महसूस होना तथा नाक के पिछले भाग में जलन होने के साथ अधिक मात्रा में गाढ़ा पीला बलगम का स्राव होना आदि लक्षण से पीड़ित रोगी को ठीक करने के लिए आइरीडियम औषधि का प्रयोग करें। इसके प्रयोग से रोग जल्दी ठीक होता है। इस औषधि का प्रयोग स्वरयन्त्र से बलगम का पुराना स्राव होने पर करने से भी लाभ मिलता है।

पीठ तथा बाहरी अंगों से संबन्धित लक्षण :- गुर्दे में कमजोरी महसूस होना, रीढ़ की हडडी का आंशिक पक्षाघात (लकवा) विशेष रूप से बुढ़ापे के कारण उत्पन्न होने वाले पक्षाघात (लकवा) तथा रोगावस्था के बाद ऊरुसंधि तथा बाईं जांघों में दबाव महसूस होना आदि लक्षणों में आइरीडियम औषधि का प्रयोग लाभकारी माना गया है। इसके अतिरिक्त बाहरी अंगों का वह लक्षण जिसमें रोगी को अपने दोनों जांघों में तनाव महसूस होता है विशेष रूप से बाई जांघ में अधिक तनाव महसूस होना। रोगी के बाईं नितम्ब के जोड़ों में ऐसा महसूस होना मानो जोड़ अलग हो गया हो और नितम्ब की पेशियों में भारीपन आ गया हो। इस तरह के लक्षणों से पीड़ित रोगी को ठीक करने के लिए आइरीडियम औषधि का प्रयोग करना चाहिए।

तुलना :-

आइरीडियम औषधि की तुलना प्लैटीना, पैलेडियम तथा ओसमियम से की जाती है।

मात्रा :-

आइरीडियम औषधि के 6 से 200 शक्ति का प्रयोग किया जा सकता है।

विशेष :-

आइरीडियम क्लोराइड औषधि के प्रयोग से रोगी में कुछ लक्षण उत्पन्न होते हैं जैसे- लाराधिक्य तथा जबड़ों की अकड़न उत्पन्न होना तथा सिर एवं स्नायविक से संबन्धित लक्षण आदि। यह औषधि इस तरह के लक्षणों को उत्पन्न करके उससे संबन्धित रोग को ठीक करता है। इसके अतिरिक्त नाक के छिद्रों तथा सांस नली में खून का जमना या रुकना। कमर में नीचे की ओर खिंचाव महसूस होना। ऐसा सिर दर्द जो दाईं ओर अधिक महसूस होता है। रोगी को अपना सिर इतना भारी महसूस होता है मानो सिर पर कोई बहुत ही भारी वस्तु रखी हो। इस तरह के लक्षणों से ग्रस्त रोगी को ठीक करने के लिए आरोडियम क्लोराइड औषधि तथा आइरीडियम औषधि दोनों का प्रयोग किया जा सकता है।


0 comments:

एक टिप्पणी भेजें