कोरिडेलिस (डाइसेण्ट्र कैनाडेन्सिस) Corydalis (Dicentra)
परिचय-
गर्मी के कारण होने वाले रोग, मुंह और गले के अंदर के छाले, कैंसर का रोग बढ़ जाने के कारण आने वाली कमजोरी, आतशक के जख्म, जीभ साफ, चौड़ी और भरी हुई, आमाशयिक नजला आदि रोगों के लक्षणों के आधार पर रोगी को कोरिडेलिस औषधि देने से लाभ होता है।
विभिन्न रोगों के लक्षणों में कोरिडेलिस औषधि का उपयोग-
चर्म (त्वचा) से सम्बंधित लक्षण- बूढ़े व्यक्तियों के चेहरे पर झुर्रियां, छोटी-छोटी फुंसियां निकलना, लसीकाग्रंथि में सूजन आना आदि चमड़ी के रोगों के लक्षणों में रोगी को कोरिडेलिस औषधि का सेवन कराने से आराम आता है।
तुलना-
नाइट्रि-एसिड, काली-आयोड, फ्लोरिक-एसिड आदि से कोरिडेलिस औषधि की तुलना की जा सकती है।
मात्रा-
मूलार्क लगभग 20 बूंदों की मात्रा के रूप में दिन में 3 बार सेवन करना चाहिए।
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