आर्निका मांटेना (Arnica Montana)


परिचय-

चोट लगने के कारण उत्पन्न होने वाले घाव को ठीक करने के लिए आर्निका मांटेना औषधि का उपयोग करना लाभदायक होता है। चोट चाहे पुराना हो या नया या कई वर्षो पुराना यह सभी प्रकार के चोट के रोगों को ठीक कर सकता है।

आर्निका मांटेना औषधि रोगी की ऐसी अवस्था को ठीक करता है जिसके कारण रोगी घायल होता है, गिरने के कारण घाव होने, गुम चोट लगने या किसी भी तरह से घायल होने के कारण उत्पन्न घाव आदि। इन लक्षणों के साथ रोगी के कानों के अन्दर भिनभिनाहट सी आवाज होती है। पीब बनने की प्रक्रिया गतिशील रहती है। यह घाव में पीब बनने को रोकता है तथा उसे जल्दी ही ठीक कर देता है, ऐसे घाव के कारण रोगी का चेहरा लाल भी हो जाता है तथा चेहरे पर गर्मी महसूस होती है।

आर्निका मांटेना औषधि रोगी के उन अवस्थाओं में भी विशेष उपयोगी है जो वर्तमान समय में किसी कोई चोट के कारण उत्पन्न घाव हो। चाहे वह कितना ही पुराना घाव क्यों न हो। चोट शरीर के किसी भी भाग में क्यों न हो यह सभी प्रकार के घावों को ठीक कर सकता है।

मस्तिष्क में किसी प्रकार से रक्त जमा होने के कारण उत्पन्न रोग, शरीर में दूषित रक्त जमा होने के कारण उत्पन्न रोग, हृदय में जल भर जाने के कारण सांस लेने में परेशानी होना, किसी रोग के कारण उत्पन्न पेशियों में चोट या घाव, अधिक शोक करने के कारण उत्पन्न रोग, आर्थिक कारण से उत्पन्न चोट। इस प्रकार के चोट की अवस्था में शरीर के कई अंगों में दर्द होता रहता है। रोगी को ऐसा महसूस होता है कि पिटाई हुई है और ऐसा लगता है कि जोड़ों में मोच आ गई है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के लक्षणों को ठीक करने के लिए आर्निका मांटेना औषधि का उपयोग करना चाहिए।

आर्निका मांटेना औषधि की खून पर प्रभावी क्रिया होती है, जिसके फलस्वरूप शरीर की शिरा-जाल (वेनस सिस्टम) भी प्रभावित होता है।

आर्निका मांटेना औषधि रोगी के उस अवस्था में भी उपयोगी है जब शरीर में कुचलन जैसी अवस्था उत्पन्न हो जाती है तथा चोट वाले स्थान पर स्पर्श (छूना) करना सहन नहीं होता, बिस्तर अधिक कठोर लगता है और इन लक्षणों के साथ-साथ रोग के सिर तथा चेहरा दोनों ही भाग गर्म हो जाते हैं लेकिन शरीर के अन्य अंग ठण्डे रहते हैं।

जब किसी प्रकार से चोट लग जाने से अंग पर काला लम्बा दाग उभर आता है तो इसको ठीक करने के लिए आर्निका मांटेना औषधि का उपयोग करना फायदेमंद होता है।

रोगी चिड़चिड़ा तथा क्रोधी स्वभाव का हो जाता है, रोगी चाहता है कि उसे कोई भी न छेड़े, चुप चाप अकेला ही पड़ा रहे तथा वह रूखापन स्वभाव का हो जाता है, बेचैनी होने लगती है, मानसिक स्थिति कमजोर हो जाती है, चुपचाप रहने का मन करता है, रोगी अपनी परेशानी को किसी भी व्यक्ति से बताना नहीं चाहता। इस प्रकार के लक्षणों को ठीक करने के लिए आर्निका मांटेना औषधि का उपयोग करना चाहिए।

आर्निका मांटेना औषधि निम्नलिखित लक्षणों के रोगियों के रोग को ठीक करने में उपयोगी हैं-

मन से सम्बन्धित लक्षण :- यदि किसी रोगी को किसी प्रकार से चोट लग जाने के कारण घाव हो गया हो तथा उसके साथ रोगी का मन उदास रहता है या किसी अन्य प्रकार का रोग हो गया हो, अकेला रहने का मन नहीं करता हो, रोगी यह नहीं चाहता है कि कोई व्यक्ति उसके पास आए और उससे कुछ बोले, रोगी चिड़चिडा़ स्वभाव का हो जाता है, जरा सी बात पर डर जाता है, अनेकों प्रकार की कल्पनायें करता है, वह यह सोचता है कि उसे कोई कठिन बीमारी हो गई है, हृदय रोग हो गया है। रोगी जब रात के समय में सोता है तो उसे डरावने सपने आने लगते हैं, चोर, डाकू, कीचड़, बिजली की चमक आदि के सपने देखता है। रोगी को सोते समय दिल में एक प्रकार की ऐसी परेशानी महसूस होती है कि मानो मृत्यु हो गई हो, मगर दिन के समय में इस प्रकार की परेशानी उसे कभी भी नहीं होती है, जिसको रेल या मोटर गाड़ी पर किसी प्रकार की दुर्घटना हुई हो, अक्सर नींद में इस प्रकार की तकलीफ़ होती है। इस प्रकार के लक्षणों में से यदि कोई भी लक्षण किसी व्यक्ति को हो गया है तो उसके रोग को ठीक करने के लिए आर्निका मांटेना औषधि का प्रयोग करना चाहिए जिसके फलस्वरूप रोग ठीक हो जाता है। इन लक्षणों के साथ ही रोगी का सारा शरीर और हाथ-पांव ठण्डे रहते हैं लेकिन सिर गर्म रहता है।

शरीर के बाहरी आंगों से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी के शरीर के कई भागों में इस तरह का दर्द होता है मानो किसी स्थान से गिरने से चोट लगने के कारण सारा शरीर कुचल गया है या किसी ने शरीर को कूट-कूटकर पीटा है, जब दर्द वाले भाग को छूते हैं तो और भी तेज दर्द महसूस होता है। शरीर के किसी स्थान पर चोट लगने या उस स्थान पर स्याही की तरह दाग पड़ जाने, गिरकर या चोट लगकर हड्डी या जोड़ के उखड़ या टूट जाने पर आर्निका मांटेना औषधि का प्रयोग करने से सूजन और दर्द जल्दी ठीक हो जाता है। किसी भारी चीज के उठाने या ऊंचे स्थान से किसी चीज़ को उतारने में यदि पुट्टों में मरोड़ या मोच आ गई हो तो आर्निका औषधि उस दर्द को जल्दी ही ठीक कर देता है।

सिर से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी का सिर गरम तथा शरीर ठण्डा रहता है, भ्रम महसूस होता है, मस्तिष्क में तेज, चुटकी काट दिए जाने जैसा दर्द होता है, खोपड़ी सिकुड़ी हुई महसूस होती है, माथे पर ठण्डे धब्बे महसूस होते हैं, सिर चकराने की पुरानी शिकायत होती है, जब रोगी चलता है तो उसे सभी वस्तुएं घूमती हुई दिखाई देती हैं। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए आर्निका मांटेना औषधि का प्रयोग करना उचित होता है।

आंखों से सम्बन्धित लक्षण :- आंखों पर लकवा का प्रभाव पड़ता है तथा जब रोगी बारीक काम करता है तो उसके बाद उसकी आंखों में कुचलन और दर्द होता है, रोगी आंखों को खोलकर रखता है, उन्हें बंद करते ही चक्कर आने लगते हैं। रोगी को कमजोरी तथा थकान महसूस होती है। ऐसे लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए आर्निका मांटेना औषधि का प्रयोग करना फायदेमंद होता है।

कान से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी के सिर की ओर रक्त का तेज बहाव होने के कारण कान के अन्दर तथा उसके आस-पास की त्वचा पर दर्द होने लगता है, कभी-कभी कानों से खून बहने लगता है। यदि किसी व्यक्ति के कान पर गुम चोट लग गई हो तथा इसके बाद उसे कम सुनाई देता हो, कान के उपास्थियों में दर्द हो रहा हो और ऐसा महसूस हो रहा हो जैसे कान कुचली हुई है। इस प्रकार के लक्षणों में से यदि कोई भी लक्षण किसी व्यक्ति को हो गया है तो उसके रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए आर्निका मांटेना औषधि का उपयोग करना लाभदायक होता है।

नाक से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी को खांसी होती है तथा खांसी के बाद रोगी के नाक से खून बहने लगता है, खून गहरे रंग का होता है, नाक में दर्द होने लगता है, रोगी को नाक पर ठण्ड महसूस होती है। इस प्रकार के लक्षणों को ठीक करने के लिए आर्निका मांटेना औषधि का प्रयोग करना चाहिए।

मुंह से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी के मुंह से बदबू आती है, मुंह में सुखापन महसूस होता है तथा प्यास अधिक लगती है, जीभ का स्वाद कड़वा हो जाता है, दांत को उखड़वाने के बाद मसूड़ों में दर्द होता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के लक्षणों को ठीक करने के लिए आर्निका मांटेना औषधि का उपयोग करना चाहिए।

चेहरे से सम्बन्धित लक्षण :- चेहरा अन्दर की ओर धंस जाता है, चेहरा लाल तथा होंठ गर्म हो जाता है, चेहरे पर फोड़े-फुंसियां हो जाती है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के लक्षणों को ठीक करने के लिए आर्निका मांटेना औषधि का उपयोग करना फायदेमंद होता है।

आमाशय से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी जब दूध और मांस का सेवन करता है तो उसे इसका स्वाद भद्दा लगता है, भूख तेज लगती है, खून की उल्टियां होने लगती हैं, जब रोगी खाना खाता है तो उसके आमाशय में दर्द होता है, पेट भरा हुआ महसूस होने के साथ भोजन से घृणा होती है, सांस लेने में परेशानी होती है, आमाशय में पत्थर जैसा दबाव महसूस होता है और ऐसा लगता है कि आमाशय रीढ़ की हड्डी से टकरा रही है, उल्टियां आती हैं तथा उसमें से बदबू आती है। इस प्रकार के लक्षणों में से यदि कोई भी लक्षण किसी व्यक्ति को हो गया है तो उसके रोग को ठीक करने के लिए आर्निका मांटेना औषधि का प्रयोग करना उचित होता है।

पेट से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी के पेट में चुभन जैसी दर्द होती है, पेट फूल जाता है, मलद्वार से बदबूदार हवा निकलती रहती है, कभी-कभी ऐसा महसूस होता है कि पेट में किसी ने चाकू घोप दिया है जिसके कारण दर्द हो रहा है। इस प्रकार के लक्षण होने पर रोगी के रोग को ठीक करने के लिए आर्निका मांटेना औषधि का उपयोग करना फायदेमंद होता है।

मल से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी को दस्त हो जाता है तथा पेट में ऐंठन होने लगती है, मल से गंदी बदबू आती है, कभी-कभी रोगी के मल से खून तथा पीब जैसा पदार्थ निकलता है। पेचिश रोग होने के साथ पेशियों में दर्द होता है। ऐसे रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए आर्निका मांटेना औषधि का उपयोग करना चाहिए।

मूत्र से सम्बन्धित लक्षण :- अत्यधिक परिश्रम करने के बाद रोगी का पेशाब आना रुक जाता है तथा पेशाब का रंग ईट जैसा लाल तलछट हो जाता है, मूत्राशय में ऐंठन महसूस होती है। इस प्रकार के लक्षणों को ठीक करने के लिए आर्निका मांटेना औषधि का उपयोग करना चाहिए।

स्त्री रोग से सम्बन्धित लक्षण :-

* जब रोगी स्त्री बच्चे को जन्म देती है तब उसके बाद शरीर के कई अंगों में कुचलन जैसा दर्द होता है।

* रोगी स्त्री को सम्भोग करने के बाद बच्चेदानी से खून बहने लगता है।

* रोगी स्त्री के चूचुकों में दर्द होता है, चोट लगने के फलस्वरूप स्तन में जलन होती है, रोगी स्त्री को ऐसा महसूस होता है कि उसका शिशु जो बच्चेदानी में है वह उल्टा-सीधा लेटा हुआ है।


इस प्रकार के लक्षणों में से यदि कोई भी लक्षण किसी स्त्री को हो गया है तो उसके रोग को ठीक करने के लिए आर्निका मांटेना औषधि का प्रयोग करना चाहिए।

वात और गठिया से सम्बन्धित लक्षण :-

* यदि किसी व्यक्ति को वात तथा गठिया का रोग हो जाए और ऐसा महसूस हो रहा हो कि रोग ग्रस्त स्थान पर कुचलन जैसा दर्द हो रहा है तथा दर्द होने के कारण डर से किसी भी चीज को छूने का मन नहीं करता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के लक्षणों को ठीक करने के लिए आर्निका मांटेना औषधि का उपयोग करना चाहिए।

* गठिया रोग से पीड़ित रोगी को किसी प्रकार का चोट लगने का डर रहता है और यहां तक कि रोगी डरता रहता है कि अगर कोई उसके पास भी आएगा या उसको छुएगा, धक्का देगा तो दर्द और भी तेज होगा, दर्द असहनीय हो जाता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के लक्षणों को ठीक करने के लिए आर्निका मांटेना औषधि का उपयोग करना फायदेमंद होता है।


पीब वाले घाव से सम्बन्धित लक्षण :-

यदि किसी रोगी को घाव हो गया है और उस घाव में मवाद बन गया है तथा तो उसके इस घाव को ठीक करने के लिए आर्निका मांटेना औषधि का उपयोग करना फायदेमंद होता है।

टाइफायड और टाइफोमलेरिया से सम्बन्धित लक्षण :- आर्निका मांटेना औषधि की खून पर अधिक असर होती है जिसके फलस्वरूप यह टाइफायड और टाइफोमलेरिया रोग को ठीक कर देता है। टाइफायड ज्वर से पीड़ित रोगी बेहोश पड़ा रहता है या बेहोशी में बड़बड़ाता रहता है। ऐसी अवस्था में रोगी से कोई बात पूछने पर वह प्रश्न का ठीक-ठीक उत्तर देकर फौरन बेहोशी की बातें शुरू कर देता है या सो जाता है, रोगी के शरीर में दर्द होने लगता है और दर्द ऐसा महसूस होता है कि जैसे दर्द वाला स्थान किसी चीज से कुचल गया हो, रोगी को बिस्तर बहुत सख्त महसूस होता है, सिर शरीर की अपेक्षा गर्म रहता है, पाखाना नियमित समय पर नहीं होता है, मल के साथ खून अधिक आता है, कूल्हे पर घाव होने लगता है। इस प्रकार के लक्षण होने पर रोगी के रोग को ठीक करने के लिए आर्निका मांटेना औषधि का उपयोग करना लाभदायक होता है।

अजीर्ण रोग से सम्बन्धित लक्षण :- अजीर्ण रोग को ठीक करने में भी आर्निका मांटेना औषधि का लाभदायक प्रभाव देखने को मिलता है, इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी को डकारें आती है तथा डकार के साथ सड़े हुए अण्डे जैसी डकारें आती है और बदबूदार हवा मलद्वार से बाहर निकलता रहता है।

कुकर खांसी से सम्बन्धित लक्षण :- यह औषधि काली खांसी को ठीक करने में भी लाभदायक है, रोगी को काली खांसी होने के साथ-साथ और भी लक्षण होते हैं जैसे- खांसी आने से पहले ही बच्चा रोने लगता है, खांसी आने पर डर लगने लगता है, रोगी को ऐसा महसूस होता है कि खांसी की झोक से सीने को फिर सख्त चोट पहुंचेगी।

हड्डी के दर्द से सम्बन्धित लक्षण :- आर्निका मांटेना औषधि हड्डी के दर्द को ठीक करने में लाभदायक है, लेकिन रोगी को हड्डी में दर्द रहने के साथ-साथ और भी लक्षण होने चाहिए जो इस प्रकार हैं- रोगी के हडि्डयों में दर्द होने लगता है, दर्द ऐसा महसूस होता है कि जैसे कि दर्द वाला भाग कुचला हुआ है, दर्द वाले भाग में स्पर्श करने से और भी तेज दर्द होता है।

ज्वर से सम्बन्धित लक्षण :- यदि किसी व्यक्ति को बुखार हो गया है और इसके साथ ही शरीर के कई भागों में दर्द हो रहा है तथा उसका पेशाब भी रुक गया है तो ऐसे रोग के रोग को ठीक करने के लिए आर्निका मांटेना औषधि का उपयोग करना चाहिए।

ठण्ड से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी को ठण्ड लगती है, बुखार हो जाता है, बुखार की तेजी बर्दाश्त नहीं होती है तथा इसके साथ प्यास लगती है, सारे शरीर में कुचलने जैसा दर्द होता है, बिस्तर बहुत कड़ा महसूस होता है, बार-बार करवटें बदलने पर परेशानी होती है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के लक्षणों को ठीक करने के लिए आर्निका मांटेना औषधि का उपयोग करना चाहिए।

पसीने से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी के पसीने से खट्टी फफूंद की तरह बदबू आती है। इस प्रकार के लक्षणों को ठीक करने के लिए आर्निका मांटेना औषधि का उपयोग करना फायदेमंद होता है।

श्वास संस्थान से सम्बन्धित लक्षण :-

* रोगी को खांसी होने लगती है, खांसी के दौरे पड़ने लगते है, रात के समय में जब व्यायाम करते है तो खांसी और भी तेज होने लगती है।

* गले में सूजन, निमोनिया रोग, लकवा तथा इन रोगों के साथ ही श्वास लेने में परेशानी होती है।

* अधिक बोलने पर खांसी होती है तथा सुबह के समय में दर्द महसूस होता है।

* रोगी रोने धोने के साथ शोक तथा संताप करता है तथा इसके साथ ही उसे खांसी होने लगती है।

* रोगी को सांस नली के अन्दर तथा नीचे गुदगुदी होने के कारण सूखी खांसी होती है, बलगम के साथ ही खून भी निकलने लगता है, श्वास लेने में परेशानी होती है तथा कभी-कभी खून की उल्टियां भी हो जाती हैं तथा छाती में दर्द भी होता रहता है, चेहरे पर फोड़े तथा फुंसियां हो जाती हैं।

* काली खांसी हो जाती है तथा खांसने से पहले बच्चा रोने लगता है तथा उसे फेफड़ों में दर्द भी होने लगता है।


इस प्रकार श्वास से सम्बन्धित लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए आर्निका मांटेना औषधि का प्रयोग करना चाहिए जिसके फलस्वरूप रोग ठीक हो जाता है।

हृदय से सम्बन्धित लक्षण :- हृदय में दर्द होने लगता है, इसके साथ ही रोगी के बायें बाजू की कुहनी में भी दर्द होने लगता है, हृदय में दर्द सुई की चुभन जैसी महसूस होती है, नाड़िया कमजोर हो जाती हैं, हृदय में सूजन हो जाता है, सांस लेने में परेशानी होने लगती है, शरीर के बाहरी अंगों में फैलाव होने लगता है और कई भागों में दर्द महसूस होता है तथा हृदय की गति बढ़ जाती है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के लक्षणों को ठीक करने के लिए आर्निका मांटेना औषधि का उपयोग करना लाभदायक होता है।

त्वचा रोग से सम्बन्धित लक्षण :- शरीर के कई अंगों की त्वचा पर काला और नीला दाग हो गया हो या खुजली तथा जलन हो रही हो या फिर छोटे-छोटे दाने-फुंसियां हो गई हों, छोटे-छोटे फोड़ें झुण्डों में हो, चेहरे पर मुंहासें हो गया हो तो इस प्रकार के लक्षणों में से कोई भी लक्षण यदि रोगी को हो गया हो तो उसके रोग को ठीक करने के लिए आर्निका मांटेना औषधि का उपयोग करना चाहिए।

नींद से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी को अधिक थकान महसूस हो रही हो और इसके साथ ही बेचैनी हो रही हो तथा बेहोशी जैसी समस्या हो गई हो, जागने पर सिर गरम हो जाता है, मृत्यु का डर लगने लगता है, शरीर के कई अंगों में दर्द होता रहता है, डरावने सपने आने लगते हैं, रात के समय में डर लगता है, नींद के दौरान बिस्तर पर मल निकल जाता है। इस प्रकार के लक्षणों में से कोई भी लक्षण यदि रोगी को हो गया हो तो उसके रोग को ठीक करने के लिए आर्निका मांटेना औषधि का उपयोग करना चाहिए जिसके फलस्वरूप रोग ठीक हो जाता है।

सम्बन्ध (रिलेशन) :-

रस-टाक्स, हाइपर तथा ऐकोन के साथ पूरक सम्बन्ध।

वृद्धि (ऐगग्रेवेशन) :- 

स्थिर रहने से, लेटे रहने से तथा शराब पीने से रोग के लक्षणों में वृद्धि होने लगती है।

शमन (एमेलिओरेशन-ह्रास) :-

सिर को नीचा रखकर लेटने से रोग के लक्षण नष्ट होने लगते हैं।

मात्रा (डोज) :-

आर्निका मांटेना औषधि तीसरी से तीसवीं शक्ति चोट को ठीक करने के लिए इस औषधि 1000 और 1 लाख शक्ति का प्रयोग कर सकते हैं। स्थानिक रोग को ठीक करने के लिए मूलार्क का उपयोग करना चाहिए, लेकिन गर्म घोल के रूप में इसका प्रयोग कभी भी नहीं करना चाहिए या जब चमड़ी छिली हुई हो या उस पर कोई घाव हो तो इसका उपयोग बिल्कुल नहीं करना चाहिए।


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