प्लाटिकम मेटालिकम Platinum Metallicum

 प्लाटिकम मेटालिकम Platinum metallicum

परिचय-

प्लाटिकम मेटालिकम औषधि का उपयोग अधिकतर स्त्रियों के रोगों को ठीक करने के लिए किया जाता है। हिस्टीरिया रोग से पीड़ित स्त्रियों में बेहोशी के लक्षण हो तथा अधिक कमजोरी हो तो ऐसी स्त्रियों का उपचार करने के लिए प्लाटिकम मेटालिकम औषधि का उपयोग करना चाहिए। ऐसी स्त्रियों में बेहोशी के लक्षण तो होते हैं लेकिन मानसिक रूप से वे पूरी चेतना में रहती है। रोगी स्त्री के मन में किसी को मार डालने या हत्या कर देने के विचार आते रहते हैं। रोगी स्त्री भावावेश में दूसरों को तुच्छ समझती है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी स्त्री के रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए प्लाटिकम मेटालिकम औषधि का प्रयोग करना चाहिए। जस्ता के उपयोग के कारण उत्पन्न शरीर में विष का प्रभाव तथा विशेषकर उन व्यक्तियों को जो जस्ते की खान में या जस्ते के कारखाने में काम करते है। उनके शरीर में इस विष के प्रभाव को नष्ट करने के लिए प्लाटिकम मेटालिकम औषधि का प्रयोग कर सकते हैं।

हरित्पाण्डु रोग, परनीसियस एनीमिया तथा मिरगी रोग को ठीक करने के लिए प्लाटिकम मेटालिकम औषधि का उपयोग किया जाता है।

विभिन्न लक्षणों में प्लाटिकम मेटालिकम औषधि का उपयोग-

मन से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी के शारीरिक और मानसिक विकारों में परिवर्तन होता रहता है, मृत्यु हो जायेगी ऐसा भय लगा रहता है, आत्मबल खत्म हो जाता है तथा आंखों से आंसू निकलता रहता है, रोगी स्त्री ऐसा सोचती है कि वह पागल होकर मर जाऐगी, वह बीती यादों से परेशान रहती है, भूतकाल की चिन्ताएं सताती रहती है, कभी रोगी स्त्री खुशी से फूली नहीं समाती और कभी दु:ख के सागर में डूब जाती है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी स्त्री के रोग लक्षणों को ठीक करने के लिए प्लाटिकम मेटालिकम औषधि का प्रयोग करना चाहिए।

नाक से सम्बन्धित लक्षण :- नकसीर फूटती है अर्थात नाक से खून बहने लगता है और खून गहरे रंग का काला होता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी स्त्री के रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए प्लाटिकम मेटालिकम औषधि का प्रयोग करना फायदेमन्द होता है।

हाथ-पैरों से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी के हाथ-पैरों में ऐसा तनाव रहता है कि जैसे पट्टी बंधी हो, आराम करते समय हाथ-पैरों में कमजोरी और थकान महसूस होती है। इस प्रकार के हाथ-पैरों से सम्बन्धित लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए प्लाटिकम मेटालिकम औषधि का उपयोग करना लाभदायक होता है। 

सिर से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी के सिर में धीरे-धीरे बढ़ता हुआ दर्द होता है तथा वह धीरे-धीरे घटता भी है, ठोड़ी के बायीं तरफ ऐंठन होने के साथ ही दर्द होना और सुन्नपन होता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए प्लाटिकम मेटालिकम औषधि का प्रयोग करना उचित होता है।

पेट से सम्बन्धित लक्षण :- राक्षसों की तरह भूख लगना, कब्ज की शिकायत रहना, आंतों का ठीक प्रकार से कार्य न कर पाने के कारण से कब्ज की शिकायत रहना। इस प्रकार के लक्षणों को ठीक करने के लिए प्लाटिकम मेटालिकम औषधि का प्रयोग करना फायदेमन्द होता है। 


शरीर के विभिन्न अंगों से सम्बन्धित लक्षण :- शरीर के कई अंग सुन्न पड़ जाते हैं और उनमें अकड़न होने लगती है और ऐसा लगता है कि वे ठण्डे पड़ गए हैं, दर्द सिकुडन के साथ होती है और ऐसा लगता है कि दर्द खरोंच लगने के कारण हुई हैं। दर्द धीरे-धीरे शुरू होकर बढ़ती है और धीरे-धीरे घटती हुई शान्त हो जाती है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए प्लाटिकम मेटालिकम औषधि का प्रयोग करना चाहिए। रोगी को शरीर के अंग हर दिशा में बढ़ता हुआ महसूस होता है, उसे भ्रम अधिक होता है, ऐसा लगता है कि हाथ लम्बा हो गया है या पैर लम्बा हो गया है या फिर शरीर का कोई दूसरा अंग लम्बा हो रहा है तथा बढ़ रहा है। जरा सी बात पर स्त्री रोगी उदास हो जाती है और जरा सी बात पर वह खुश हो जाती है, जीवन से निराशा होने लगती है, स्वभाव चिड़चिड़ा हो जाता है तथा मृत्यु का भय लगने लगता है। वह हर बात में उपदेश देने लगती है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी स्त्री के रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए प्लाटिकम मेटालिकम औषधि का प्रयोग करना चाहिए। हर बार मासिकधर्म शुरू होने पर शरीर में ऐंठन होती है और बेहोशी की समस्या उत्पन्न हो जाती है जिसके कारण रोगी रोने, चीखने-चिल्लाने लगती है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी स्त्री के रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए प्लाटिकम मेटालिकम औषधि का प्रयोग करना चाहिए। शरीर के कई अंगों में ऐंठन होने के साथ ही भारीपन महसूस होता है। कई अंगों में कुचलन महसूस होने के साथ ही सिर में दर्द होता है जो दबाने पर सिर या सिर को पीछे की ओर मोड़ने पर बढ़ जाता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए प्लाटिकम मेटालिकम औषधि का प्रयोग करना चाहिए। शरीर पीला हो जाता है तथा इसके साथ ही शरीर में उदासीपन आ जाती है और पूरे शरीर में थकान रहती है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए प्लाटिकम मेटालिकम औषधि का प्रयोग करना उचित होता है। 

हृदय से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी के हृदय में सुन्नपन महसूस होता है तथा इसके साथ ही कंपन भी होता है तथा धड़कने कंपन के साथ गति करती है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी जब अपमानित होता है या डर जाता है या जब क्रोध आता है तो रोग के लक्षणों में वृद्धि होती है। ऐसे लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए प्लाटिकम मेटालिकम औषधि उपयोग लाभदायक है।

आंखों से सम्बन्धित लक्षण :- आंखें ठण्डी है ऐसा महसूस होता है, नज़र में पड़ने वाली सभी चीजें अपनी वास्तविक आकार से छोटी दिखाई पड़ती है। चक्षुगोलकों में ऐंठन के साथ दर्द होता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए प्लाटिकम मेटालिकम औषधि का प्रयोग करना चाहिए। 

मल से सम्बन्धित लक्षण :- बार-बार मलत्याग करने का प्रयास करते रहना लेकिन मलत्याग कर सकने में असफल रहना। गुदाद्वार में गुठली जैसा चिपकने वाला लिसलिसा मल भरा रहना। यात्रियों और प्रवासियों को कब्ज की शिकायत होना। मल ऐसा जला हुआ होना जैसे काला खुरखुरा मल है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए प्लाटिकम मेटालिकम औषधि का प्रयोग करना फायदेमन्द होता है। 

गर्भाशय से सम्बन्धित लक्षण :- गर्भाशय के बढ़ जाने पर उपचार करने के लिए प्लाटिकम मेटालिकम औषधि का प्रयोग करना उचित होता है।

स्त्री रोग से सम्बन्धित लक्षण :- मासिकस्राव अधिक मात्रा में आता है और स्राव का रक्त गाढ़ा और गहरे रंग का होता है जिसके साथ भीतर से सर्दी, कंपकपी और योनिपथ में संवेदनशीलता रहती है। समय से पहले संभोग करने की इच्छा होना। विशेषकर कुवांरी लड़कियों में अधिक संभोग की उत्तेजना होती है, योनि में पागल कर देने वाली सुरसुराहट, चुनचुनाहट होती है जिसके साथ अधिक संभोग क्रिया करने की इच्छा होती है और इसके साथ ही व्याकुलता होती है और हृदय में कंपन होने के साथ ही नाड़ियां चलती हैं। गुप्तांग अधिक ठण्डे हो जाते हैं तथा इसे छूने पर दर्द असहनीय होता है यहां तक कि कपड़ा छू जाने पर भी सहन नहीं होता, इसलिए स्त्री रोगी चड्ढी (पेण्टी) नहीं पहनती है। माहवारी समय से बहुत पहले आ जाती है और अधिक मात्रा में रक्तस्राव होता है। पीठ के छोटे स्थान पर दर्द होता है तथा इसके साथ ही पेट पर दबाव महसूस होता है और लगता है कि मासिकस्राव हो जाएगा लेकिन मासिकस्राव होता नहीं। मासिकस्राव का रुक जाना। माहवारी अनियमित होती है। रक्त शुरू में काला, थक्का-थक्का फिर पतला आता है। रक्त की मात्रा कभी घटी हुई होती है और कभी बढ़ी हुई होती है। योनि छूना या छुआ जाना सहन नहीं होता है, पेट पर नीचे की ओर दबाव होता हुआ दर्द होता है। मासिकस्राव बीस-से पच्चीस दिनों तक बना रहता है। इस प्रकार की अवस्था में रोगी स्त्री के रोग को ठीक करने के लिए प्लाटिकम मेटालिकम औषधि की छठी या तीसवीं शक्तिक्रम का प्रयोग करना चाहिए। दो से तीन महीने में रोगी स्त्री का रोग ठीक हो जाता है। सफेद लसीला प्रदर स्राव होना जो केवल दिन में आता है उसके साथ ही योनि अति संवेदनशील होती है। पेट से नीचे की ओर दर्द होता है तथा इसके साथ ही समय से पहले मासिकस्राव होता है और अधिक मात्रा में गहरे रंग का थक्का-थक्का जैसा जमा हुआ रक्तस्राव होता है। योनि को छूने से दर्द तेज होता है तथा संभोग क्रिया करते समय बेहोशी आ जाती है। योनि में ऐंठन तथा मरोड़ होती है। प्रसव होने के तुरन्त बाद जो स्राव होता है वह बन्द हो जाने के कारण उत्पन्न रोग की स्थिति के कारण प्रलाप होना तथा योनि में खुजली होना। इस प्रकार के स्त्री रोग से सम्बन्धित लक्षणों में से यदि कोई भी लक्षण किसी व्यक्ति को हो गया है तो उसके रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए प्लाटिकम मेटालिकम औषधि का प्रयोग करना चाहिए।

पुरुष रोग से सम्बन्धित लक्षण :- सोते समय लिंग में उत्तेजना आ जाती है जिसके कारण संभोग क्रिया के सपने आते हैं और वीर्यपात हो जाता है, हस्तमैथुन करने के कारण उत्पन्न रोग, संभोग क्रिया से नाखुश होना तथा इसके बाद रोगी अपना होशो-हवास खो देता है, रोगी गहरी सांस भरना चाहता है लेकिन छाती पर इतनी कमजोरी महसूस होती है कि गहरी सांस भर नहीं पाता है। जबड़े से सिर में या सिर के ऊपरी भाग में सुन्नपन महसूस होता है तथा इसके साथ ही पुरे शरीर में सिकुड़न महसूस होती है और ऐसा लगता है कि शरीर किसी पट्टी से बंधा हुआ है। चेहरे की दायी तरफ ठण्डक महसूस होती है और रोगी दोनों पैर पूरी तरह से फैलाकर सोना चाहता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के लक्षणों को ठीक करने के लिए प्लाटिकम मेटालिकम औषधि का प्रयोग करना चाहिए।

वृद्धि (ऐगग्रेवेशन) :-

शाम के समय में, आराम करने के बाद, खुली हवा में, मासिकस्राव आने के समय में, लेटे रहने से, क्रोध करने से, उठने पर, खड़े रहने पर, संभोग करते समय रोग के लक्षणों में वृद्धि होती है।

शमन (एमेलिओरेशन. ह्रास) :-

कमरे में रहते समय, टहलते रहने से और हरकत (कोई कार्य करने से) करने से रोग के लक्षण नष्ट होने लगते हैं।

सम्बन्ध (रिलेशन) :-

औरम, ब्राय, ब्यूफो, काल्के-का, कोक, फेरम-फा, ग्रेफा, इग्ने, सीपि, स्टैन, सल्फ, थूजा, वेलेरियन तथा आर्स औषधियों के कुछ गुणों की तुलना प्लाटिकम मेटालिकम औषधि से कर सकते हैं।

क्रियानाशक :-

पल्स, स्प्रिट-ना-ड।


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