बेलिस पेरेनिस (गुलबहार डेजीद) (बेलि-पेरे) BELLIS PERENNIS (DAISY)

 बेलिस पेरेनिस (गुलबहार डेजीद) (बेलि-पेरे) BELLIS PERENNIS (DAISY) 

परिचय-

बेलिस पेरेनिस औषधि का प्रयोग करने से इसका विशेष प्रभाव रक्तवाहिकाओं की पेशियों पर पड़ता है। पेशियों में अधिक दर्द होने पर बेलिस पेरेनिस औषधि का सेवन करने से दर्द में आराम मिलता है। यह औषधि लंगड़ापन (लैमनेस) जैसे मोच आ गई हो तथा यांत्रिक कारणों से शिराओं में खून का जमा हो जाना आदि में लाभकारी होता है। ऑपरेशन के बाद गहराई में स्थिति ऊतकों को होने वाले हानि को ठीक करने के लिए विशेषतौर पर बेलिस पेरेनिस औषधि का प्रयोग किया जाता है। इस औषधि के प्रयोग से तन्त्रिकाओं में होने वाले हानि को रोकता है तथा तन्त्रिकाओं में हानि होने के कारण दर्द उत्पन्न तथा ठण्ड के प्रति संवेदनशीलता अर्थात पानी को शरीर पर रखने से ठण्डक अधिक महसूस होना आदि को दूर करता है। बेलिस पेरेनिस औषधि के सेवन से गठिया के बाद अंगों में आने वाली कमजोरी दूर होती है। गोणिकांगों पर चोट तथा अपने आप लगने वाले चोट जैसी अवस्थाओं में बेलिस पेरेनिस औषधि का प्रयोग करके रोग को ठीक किया जा सकता है। हस्तमैथुन के कारण उत्पन्न रोग तथा मोच के कारण मोच वाले स्थान की त्वचा नीला रंग की हो जाने पर बेलिस पेरेनिस औषधि का सेवन लाभकारी होता है। जिस व्यक्ति का शरीर गर्म प्रकृति का हो उसे ठण्डे पानी पीने या नहाने या ठण्डी वस्तुओं का सेवन करने आदि कारणों से उत्पन्न होने वाले रोगों में बेलिस पेरेनिस औषधि का सेवन करना चाहिए।

चेहरे के मुंहासें (एक्ने)। शरीर पर फोड़े होना। गोणिकांगों (पैलवीक और्गेंस) पर ऐसा दर्द होना मानो किसी चीज से कुचल दिया हो। इस तरह के रोगों में बेलिस पेरेनिस औषधि का सेवन लाभकारी होता है। रिसाव (एक्सुडीयंस), रक्त संचार में बाधा और सूजन आदि में भी इस औषधि का उपयोग करना लाभकारी होता है। इस औषधि का प्रयोग गठिया के विभिन्न लक्षणों में प्रयोगकर रोग को ठीक किया जा सकता है। बेलिस पेरेनिस औषधि खून को साफ करता है। यह औषधि ऐसे व्यक्ति जो अधिक आयु के बाद भी काम करते रहते हैं, उन व्यक्तियों के लिए लाभकारी है।

शरीर के विभिन्न अंगों के लक्षणों के आधार पर बेलिस पेरेनिस औषधि का उपयोग :-

1. सिर से सम्बंधित लक्षण :

सिर रोग से संबन्धित लक्षण जैसे- पेट में अधिक गैस बनने के कारण सिर चकराना। सिर का ऐसा दर्द जिसमें दर्द सिर के पिछले भाग से शुरू होकर मस्तक तक फैल जाता है। रोगी को सिर सिकुड़ने जैसा महसूस होता रहता है। सिर में ऐसा दर्द होना मानो किसी ने सिर कुचल दिया है तथा कपाल के आस-पास और पीछे की ओर खुजली होती है जो नहाने तथा सोते समय और बढ़ जाता है। ऐसे सिर रोग के लक्षणों में रोगों को बेलिस पेरेनिस औषधि का प्रयोग करने से रोग ठीक होता है। इस औषधि के प्रयोग से सभी प्रकार के सिर दर्द ठीक हो जाते हैं।

2. नींद से सम्बंधित लक्षण :

नींद का न आना, नींद न आने के कारण शारीरिक थकान बना रहना, सुबह जल्द उठ जाना और फिर उसके बाद नींद का न आना आदि नींद के रोगों में बेलिस पेरेनिस औषधि का प्रयोग करने से नींद रोग ठीक होते हैं।

3. पेट रोग से सम्बंधित लक्षण :

पेट में उत्पन्न होने वाले अनेक रोग जैसे- पेट की आंतरिक परतें तथा गर्भाशय की झिल्ली में दर्द होना। प्लीहा रोग जिसमें सुई की चुभन जैसा दर्द होने तथा प्लीहा का बढ़ना आदि लक्षणों से ग्रस्त रोगी को ठीक करने के लिए बेलिस पेरेनिस औषधि प्रयोग करना चाहिए।

दस्त का अधिक आना, चेहरे का रंग पीला होना, पेट दर्द होना, शरीर से बदबू आना जो रात को बढ़ जाता है और पेट का फूल जाना व आंतों में गड़गड़ाहट रहना आदि रोगों में बेलिस पेरेनिस औषधि का प्रयोग लाभकारी होता है।

4. त्वचा रोग से सम्बंधित लक्षण :

बेलिस पेरेनिस औषधि का प्रयोग त्वचा पर नीले रंग का दाग होना तथा त्वचा पर सूजन आ जाने पर करने से लाभ होता है। इसके अतिरिक्त त्वचा के अन्य रोग जैसे-शिरा विस्फार के साथ कुचलने जैसा दर्द अनुभव होना और साथ ही यांत्रिक कारणों से होने वाली शिराओं में खून का जमाव। रिसाव और सूजन आदि में बेलिस पेरेनिस औषधि का सेवन करना लाभकारी होता है।

5. बाहरी अंगों का रोग :

अंगों में तेज दर्द तथा पेशियों में दर्द होने पर बेलिस पेरेनिस औषधि का प्रयोग करने से रोगी ठीक होता है। पीठ व जांघों की पेशियों का सिकुड़ जाना और उस पर खुजली होना, जांघों के ऊपरी भागों में दर्द होना जो गहराई से उत्पन्न होता है। कलाई सिकुड़ापन महसूस होना। कलाई में खिंचाव अनुभव होना और ऐसा प्रतीत होना मानो कई लचकदार चीजें कलाई पर बांध दी गई हो। मोच आने पर तेज दर्द होना। किसी दुर्घटना में रीढ़ की हड्डी पर आने वाले चोट व दर्द आदि लक्षण। इस तरह के लक्षणों में बेलिस पेरेनिस औषधि का प्रयोग करने से सभी प्रकार के दर्द से आराम मिलता है।

6. स्त्री रोग से सम्बंधित लक्षण :

स्तनों और गर्भाशय की झिल्ली में खून का जमा होना। गर्भकालीन शिराओं का फैल जाना। गर्भकाल में कमजोरी के कारण चलने में कमजोरी महसूस होना, पेट की पेशियां का ढ़ीला पड़ जाना तथा गर्भाशय की झिल्ली में ऐसा दर्द होना मानो किसी न उसे भींच दिया हो। इस तरह के स्त्री रोगों में उत्पन्न होने वाले लक्षणों में बेलिस पेरेनिस औषधि का सेवन करना चाहिए।

तुलना :

बेलिस पेरेनिस औषधि की तुलना आर्सेनिक, आर्निका, स्टैफिसै, हैमामेलिस, ब्रायोनिया, वैनाढिडयम से किया जाता है। बेलिस पेरेनिस औषधि के न मिलने पर जल्द आराम के लिए इन औषधियों का प्रयोग किया जा सकता है।

वृद्धि : 

बाईं ओर लेटने से, गर्म पानी से स्नान करने तथा बिस्तर की गर्मी के कारण रोग बढ़ता है। इसके अतिरिक्त तूफान से पहले, ठण्डे पानी से स्नान करने तथा ठण्डी हवा में घूमने से भी रोग बढ़ता है।

मात्रा :

बेलिस पेरेनिस औषधि के मूलार्क से 3 शक्ति का प्रयोग किया जा सकता है।


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